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京东电视75寸优惠价格小米 राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक, 2023

Prev Next राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक, 2023 27 Nov 2023 100 min read टैग्स: सामान्य अध्ययन-IIIसरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेपनीति आयोगसंसाधनों का संग्रहणस्वास्थ्यगरीबीशिक्षा प्रिलिम्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य, बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI), राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, स्वास्थ्य, नीति आयोग

मेन्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुआयामी गरीबी उन्मूलन का महत्त्व।

प्रसंग

हाल ही में नीति आयोग ने राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI): एक प्रगति समीक्षा 2023 जारी की।

यह सूचकांक एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है जो देश को सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG), विशेष रूप से SDG लक्ष्य 1.2, की दिशा में अपनी प्रगति को ट्रैक करने में सक्षम बनाता है, जिसका उद्देश्य अपने सभी आयामों में गरीबी को कम करना है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey- NFHS) का उपयोग करते हुए, यह रिपोर्ट भारत के वर्ष 2019-21 MPI परिणामों के अलावा वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी में कमी की प्रगति को दर्शाती है।

नोट: 

नीति आयोग ने 2021 में भारत के लिये पहली बार MPI (NFHS 4 पर आधारित) जारी करके एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया। इस पहल का उद्देश्य व्यापक गरीबी उन्मूलन प्रयासों के महत्त्व को रेखांकित करते हुए विश्व स्तर पर स्वीकृत सूचकांकों में भारत की स्थिति में सुधार करना है। वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक क्या है? परिचय:  वैश्विक MPI, स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में व्याप्त अभावों को पकड़ता है। यह आय गरीबी माप को पूरक करता है क्योंकि यह सीधे अभावों को मापता है और तुलना करता है। यह "प्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति के जीवन और कल्याण को प्रभावित करने वाले स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जीवन स्तर के परस्पर संबंधित अभावों को मापता है"। वैश्विक MPI रिपोर्ट ऑक्सफोर्ड निर्धनता और मानव विकास पहल (OPHI) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित की जाती है।  2030 एजेंडा: सतत् विकास और सामाजिक कल्याण के आर्थिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक पहलुओं से संबंधित 17 SDG को संबोधित करता है तथा "किसी को भी पीछे न छोड़ने (Leing No One Behind)" के मूल सिद्धांत पर केंद्रित है। राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक क्या है? परिचय:  नीति आयोग, MPI के लिये नोडल एजेंसी के रूप में, बहुआयामी गरीबी को संबोधित करने में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन की निगरानी हेतु एक स्वदेशी सूचकांक के निर्माण के लिये ज़िम्मेदार है। इसे संस्थागत बनाने के लिये नीति आयोग ने एक अंतर-मंत्रालयी MPI समन्वय समिति (MPICC) का गठन किया, जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, ग्रामीण विकास, पेयजल, स्वच्छता, बिजली और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों से संबंधित मंत्रालय और विभाग शामिल थे। . MPI समन्वय समिति (MPICC): स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के NFHS - अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान (IIPS) के सर्वेक्षण कार्यान्वयनकर्त्ताओं जैसे अन्य लोगों के समर्थन वाली समिति, राष्ट्रीय MPI विकसित करने तथा इसकी तकनीकी कठोरता एवं मज़बूती सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण रही है। इसमें सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MPICC) के विशेषज्ञ एवं तकनीकी भागीदार - OPHI व UNDP भी शामिल थे। MPICC की संरचना सूचकांक के भीतर संकेतकों और उप-संकेतकों की बहुआयामी प्रकृति से ली गई है। इससे परिवारों के स्तर पर उपलब्धियों में सुधार के लिये आवश्यक नीतियों और हस्तक्षेपों पर अंतर-क्षेत्रीय दृष्टिकोण सामने आया। निर्धनता मापन का इतिहास: वर्ष 1901 में दादाभाई नौरोजी की पुस्तक 'पॉवर्टी एंड अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया' ने निर्वाह आहार की लागत के आधार पर निर्धनता का अनुमान लगाने के शुरुआती प्रयासों को चिह्नित किया। इसके बाद वर्ष 1938 में राष्ट्रीय योजना समिति और वर्ष 1944 में बॉम्बे प्लान के लेखकों ने न्यूनतम जीवन स्तर के आधार पर निर्धनता का अनुमान प्रस्तावित किया। स्वतंत्रता के बाद भी निर्धनता के आकलन का महत्त्व बना रहा और विभिन्न विशेषज्ञ समूहों ने इस मुद्दे पर कार्य किया। शुरुआती प्रयासों में वर्ष 1962 में वर्किंग ग्रुप, वर्ष 1971 में दांडेकर और रथ तथा वर्ष 1979 में डॉ. वाई. के. अलघ के नेतृत्व में "न्यूनतम आवश्यकताओं एवं प्रभावी उपभोग मांग के अनुमान" पर टास्क फोर्स शामिल थे। इसके बाद लकड़ावाला (1993), तेंदुलकर (2009) और रंगराजन (2014) की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूहों ने उपभोग तथा व्यय सर्वेक्षणों के आधार पर मौद्रिक निर्धनता का आकलन करने की इस कवायद को जारी रखा। राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक के आयाम क्या हैं? आयाम:  वैश्विक MPI की तरह, भारत के राष्ट्रीय MPI के तीन समान महत्त्व वाले आयाम हैं: स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर, जो 12 संकेतकों द्वारा दर्शाए जाते हैं। राष्ट्रीय MPI के उप-सूचकांक: हेडकाउंट अनुपात (H): कितने निर्धन हैं? जनसंख्या में बहुआयामी निर्धनों का अनुपात, जो कुल जनसंख्या से बहुआयामी निर्धन व्यक्तियों की संख्या को विभाजित करके निकाला जाता है। निर्धनता की तीव्रता (A): गरीब कितने निर्धन हैं? अभावों का औसत अनुपात बहुआयामी निर्धन व्यक्तियों द्वारा अनुभव किया जाता है। तीव्रता की गणना करने के लिये सभी निर्धन लोगों के भारित अभाव स्कोर को जोड़ा जाता है और फिर उसे निर्धनों की कुल संख्या से विभाजित किया जाता है। MPI हेडकाउंट अनुपात (H) और निर्धनता की तीव्रता (A) को गुणा करके निकाला जाता है, जो गरीबी में लोगों की हिस्सेदारी तथा उनके वंचित होने की स्थिति दोनों को दर्शाता है। MPI = H x A

रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?

मुख्य परिणाम - निर्धनता में बड़ी गिरावट: भारत ने वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच अपने MPI मूल्य तथा हेडकाउंट अनुपात में उल्लेखनीय कमी हासिल की है, जो अपने बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण के माध्यम से निर्धनता की बहुआयामी प्रकृति को संबोधित करने के लिये देश की प्रतिबद्धता एवं कार्रवाई की सफलता का संकेत देता है। उत्तर प्रदेश (UP), बिहार, मध्य प्रदेश (MP), ओडिशा और राजस्थान में MPI निर्धनों की संख्या में सर्वाधिक गिरावट दर्ज की गई। पोषण में सुधार, स्कूली शिक्षा के वर्षों, स्वच्छता और खाना पकाने के ईंधन ने MPI  मूल्य को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। MPI का अनुमान वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच भारत के राष्ट्रीय MPI मूल्य के लगभग आधे होने तथा बहुआयामी निर्धनता में जनसंख्या के अनुपात में 24.85% से 14.96% की गिरावट को उजागर करता है। बहुआयामी निर्धनता में 9.89% की कमी यह दर्शाती है कि वर्ष 2021 में अनुमानित जनसंख्या के स्तर पर वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच लगभग 135.5 मिलियन व्यक्ति निर्धनता का शिकार होने से बच गए हैं। यह SDG लक्ष्य 1.2 को प्राप्त करने में एक बड़ा योगदान है। यह इंगित करता है कि भारत वर्ष 2030 से काफी पहले SDG लक्ष्य 1.2 प्राप्त करने की राह पर है। साथ ही निर्धनता की तीव्रता, जो बहुआयामी निर्धनता में रहने वाले लोगों के बीच औसत अभाव को मापती है, भी 47.14% से घटकर 44.39% हो गई है।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में असमानताएँ: हालाँकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच बहुआयामी निर्धनता में असमानताएँ अभी भी मौजूद हैं, वर्ष 2019-21 में बहुआयामी निर्धनों का अनुपात शहरी क्षेत्रों में 5.27% की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में 19.28% होने के कारण, MPI मूल्य में कमी पूर्ण रूप से निर्धनों की समर्थक रही है। अनुमान बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में उनके MPI मूल्य में तेज़ी से कमी देखी गई। वर्ष 2015-16 और 2019-21 के बीच शहरी क्षेत्रों में 8.65% से घटकर 5.27% की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता 32.59% से घटकर 19.28% रह गई। MPI में तीव्र कमी (राज्यवार): MPI निर्धनों की संख्या के मामले में पिछले पाँच वर्षों में 3.43 करोड़ लोगों के बहुआयामी निर्धनता से बाहर निकलने के साथ UP शीर्ष पर है, इसके बाद बिहार (2.25 करोड़) और मध्य प्रदेश (1.36 करोड़) आते हैं। बिहार- NFHS-4 (2015-16), उच्चतम MPI मूल्य वाले राज्य में UP और MP के साथ MPI मूल्य में तीव्र कमी देखी गई। MPI स्कोर में ज़िलों का तुलनात्मक प्रदर्शन: MPI की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता ज़िला स्तर पर अनुमान प्रदान करने की इसकी क्षमता है।  अलग-अलग अनुमानों से पता चलता है कि बहुआयामी निर्धन व्यक्तियों के अनुपात में सबसे तेज़ी से कमी मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों के भीतर स्थित ज़िलों में आयी है।

अभावों की संकेतक-वार तुलना: तीन आयामों - स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर - के सभी 12 संकेतकों में दो समयावधियों में सांख्यिकीय रूप से महत्त्वपूर्ण कमी देखी गई।  वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 की अवधि के दौरान स्वच्छता में कमी (21.8% अंक की कमी) और खाना पकाने के ईंधन (14.6% अंक की कमी) में सर्वाधिक गिरावट आई। कुल मिलाकर, पोषण में प्रगति, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्वच्छता और खाना पकाने के ईंधन के MPI मूल्य में गिरावट में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है।

MPI में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का महत्त्व: वैश्विक MPI: वैश्विक MPI का निर्माण उन देशों में जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (Demographic and Health Surveys- DHS) का उपयोग करके किया जाता है जहाँ यह उपलब्ध है। DHS संकेतकों के डेटा संग्रह के लिये एक मानकीकृत सर्वेक्षण पद्धति और दिशानिर्देशों का पालन करता है जो MPI के संकेतकों की देशों के बीच तुलना की अनुमति देता है।  यह भौगोलिक दृष्टि से या जनसंख्या उप-समूहों द्वारा कई स्तरों पर पृथक्करण की भी अनुमति देता है। राष्ट्रीय MPI: भारत के लिये DHS NFHS है, जो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के तत्वावधान में IIPS द्वारा संचालित किया जाता है। राष्ट्रीय MPI का नवीनतम पुनरावृत्ति वर्ष 2019-21 तक आयोजित NFHS-5 पर आधारित है और वर्ष 2015-16 तक आयोजित NFHS-4 के डेटा का उपयोग करके गणना की गई राष्ट्रीय MPI के आधारभूत आँकड़ों के साथ तुलनीय है। दोनों सर्वेक्षणों के आँकड़े राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर प्रतिनिधि हैं। NFHS-4 ज़िला स्तर तक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये प्रतिनिधि डेटा प्रदान करता है, जबकि NFHS-5 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के स्तर तक शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लिये प्रतिनिधि डेटा प्रदान करता है।

नीति आयोग की रिपोर्ट का नतीजा क्या है? राष्ट्रीय MPI: रिपोर्ट निर्धनता के कई आयामों को समझने, मापने और संबोधित करने तथा नीति निर्माण में एक प्रमुख उपकरण के रूप में इस ज्ञप्ति का लाभ उठाने के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।  बेसलाइन रिपोर्ट:  राष्ट्रीय MPI की बेसलाइन रिपोर्ट राज्य सरकारों, शिक्षाविदों, नागरिक समाज और नागरिकों के बीच बहुआयामी निर्धनता उपायों के उपयोग के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण रही है। मंत्रालय/विभाग: विभिन्न मंत्रालयों/विभागों ने अपनी प्राथमिकताओं और विकासी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए कार्य योजनाएँ तैयार की हैं। पोषण, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, ग्रामीण विकास और आवास जैसे 16 सुधार क्षेत्रों में 50 से अधिक सुधार कार्यों की पहचान की गई है। राज्यों के साथ सहयोग: मंत्रालयों ने इन सुधारों को लागू करना शुरू कर दिया है। वर्ष 2015-16 और वर्ष 2019-21 के बीच राष्ट्रीय MPI पर भारत की शानदार प्रगति लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिये सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर लागू की गई लक्षित नीतियों, योजनाओं एवं विकासात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से संभव हुआ। निवेश: शिक्षा, पोषण, जल, स्वच्छता, रसोई गैस की उपलब्धता, बिजली व आवास के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश पर सरकार के फोकस ने इन सकारात्मक परिणामों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। सभी स्तरों तक पहुँच: राष्ट्रीय MPI के दूसरे संस्करण के निष्कर्ष राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिये ज़िला स्तर तक कार्यों की पहचान करने एवं उन्हें आगे बढ़ाने के लिये एक मूल्यवान संसाधन के रूप में कार्य करेंगे। यह उन्हें संवेदनशील हॉटस्पॉट एवं विशेष क्षेत्रों के विकास की निगरानी करने में भी सक्षम बनाएगा जिन्हें अधिक केंद्रित नीतिगत हस्तक्षेप व कार्यक्रम संबंधी कार्रवाई की आवश्यकता है। इस रिपोर्ट में प्रस्तुत उल्लेखनीय प्रगति को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाली प्रमुख सरकारी योजनाएँ हैं: स्वच्छ भारत मिशन (SBM) जल जीवन मिशन (JJM) पोषण अभियान समग्र शिक्षा प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य) प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) बहुआयामी निर्धनता को कम करने हेतु क्या कदम उठाए गए हैं? राज्य सहायता मिशन (SSM): यह नीति आयोग की एक व्यापक पहल है जिसका उद्देश्य राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों के साथ अपने निरंतर सहयोग को फिर से सशक्त करना है। इस मिशन के तहत, नीति आयोग राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को क्षमता निर्माण एवं इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (SIT) स्थापित करने में सहायता करता है। SSM, SDG स्थानीयकरण प्रयासों को सशक्त करने की सुविधा प्रदान करेगा जिसके परिणामस्वरूप बहुआयामी निर्धनता में कमी लाने में मदद मिलेगी। प्रोग्रेस डैशबोर्ड: नीति आयोग के तहत संबद्ध कार्यालय, विकास निगरानी और मूल्यांकन संगठन (DMEO) द्वारा कार्यान्वयन प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक ट्रैक करने के लिये MPI जैसे विशिष्ट वैश्विक सूचकांकों की निगरानी की सुविधा के लिये एक डैशबोर्ड विकसित किया गया है। यह डैशबोर्ड बहुआयामी निर्धनता में कमी के परिणामों में सुधार लाने के उद्देश्य से राज्य के नेतृत्व वाले सुधारों की प्रगति को ट्रैक कर सकता है। राष्ट्रीय MPI के इस संस्करण का डेटा राज्यों को डैशबोर्ड पर भी उपलब्ध कराया जाएगा ताकि विभिन्न संकेतकों में बहुआयामी निर्धनता की निगरानी की जा सके।

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